(रायपुर) खरीफ सीजन में सोयाबीन की खेती करने के लिए किसानों को भूमि का चयन, भूमि की तैयारी, उन्न्त किस्म के बीज तथा उचित समय पर बीज की बुआई से उत्पादन में अच्छा वृद्धि होती है।
कृषि विकास एवं कृषक कल्याण विभाग के अधिकारियों ने जानकारी दी है कि छत्तीसगढ़ में सोयाबीन के क्षेत्रफल में निरंतर वृद्धि हो रही है। छत्तीसगढ़ में सोयाबीन मुख्य रूप से राजनांदगांव, दुर्ग, बेमेतरा, मुंगेली और कवर्धा जिलों में उगाया जाता है। सोयाबीन के लिए अच्छे जल निकास वाली डोरसा और कन्हार प्रकार की जमीन उपयुक्त होती है। सोयाबीन के लिए सबसे अच्छी भूमि कन्हार भर्री पाई गई है। धनहा खेतों में जल निकास की उचित व्यवस्था करके सोयाबीन की खेती की जा सकती है। धान के खेतों में नाली-मांदा बुवाई मशीन का उपयोग करें, जिसमें सोयाबीन की बुवाई मांदा में उपयुक्त होती है।
कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को सलाह दी है कि सोयाबीन की प्रमुख किस्में जिसमें जे.एस.-335, जे.एस.-93-05, जे.एस.-97-52, जे.एस.-95-60, आर.के.एस.-18, एन.आर.सी.-37, अहिल्या-4 का उपयोग करें। ।
सोयाबीन मुख्यतः खरीफ की फसल है, इसकी बोनी का उचित समय जून के अंतिम सप्ताह से लेकर जुलाई के द्वितीय सप्ताह तक का होता है। जुलाई द्वितीय सप्ताह के बाद बोनी करने पर उत्पादन में गिरावट आती है।