(रायपुर) कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को मौसम आधारित फसलों की सुरक्षा के लिए समसामयिक सलाह दी हैं। कृषि वैज्ञानिकों ने गेहूं फसल में कन्से आने तथा गांठ बनने की अवस्था में सिंचाई करनें, देर से बोई गई गेहूं की फसल यदि 20-25 दिन की अवस्था में है तो चौड़े पत्ती वाले खरपतवार के नियंत्रण के लिए खरपतवारनाशी मेटसल्फ्युरान 8 ग्राम प्रति एकड़ या यदि 25 से 30 दिन की अवस्था में है तो खरपतवारनाशी 2, 4-डी 500 ग्राम प्रति एकड़ 200 लीटर पानी में मिलाकर पौधों में अच्छी तरह छिड़काव करने की सलाह दी है।
ग्रीष्मकालीन धान इस समय अंकुरण की अवस्था में है। इसलिए किसानों को सलाह दी जाती है की खरपतवारों के नियंत्रण के लिए खरपतवार नाशक दवा खेतांे में डाले। उड़द और मूंग फसल में पाऊडरी मिल्डयू (भभूतिया) रोग आने पर कार्बेन्डाजिम 1 ग्राम-लीटर या डिनोकेप 1 मिली.-लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें। रोग लक्षण पुनः दिखने पर 10 दिन बाद छिड़काव दोहरायें।
कृषि वैज्ञानिकों ने आलू में पछेती अंगमारी रोग आने पर मेटालेक्जिल (1.5 ग्राम) या सायमांक्सीनील (2 ग्राम) दवा का प्रति लीटर पानी की दर से घोल बनाकर छिड़काव करने की सलाह दी। प्याज में फूल आने पर उसे तोड़ने कहा है। पिछले दिनों बादल छाए रहने के कारण साग-सब्जियों में एफीड, भटा में फल एवं तनाछेदक लगने की संभावना हैं। इसलिए किसान भाइयों को सलाह हैं कि प्रारम्भिक कीट नियंत्रण हेतु एकीकृत कीट प्रबंधन का प्रयोग जैसे फीरोमोन प्रपंच, प्रकाश प्रपंच या खेतों में पक्षियों के बैठने हेतु खूटी (बर्ड पर्च) लगाना लाभकारी होगा।