(रायपुर) प्रदेश की 1333 सहकारी समितियों के पुनर्गठन के संबंध में राज्य सरकार ने अधिसूचना का प्रकाशन छत्तीसगढ़ राजपत्र में कर दिया है। प्रदेश के प्राथमिक कृषि साख सहकारी सोसाईटियों की पुनर्गठन योजना 2019 की कंडिका-5 का उपांतरण किया गया है। पुनर्गठन की उपांतरित प्रक्रिया छत्तीसगढ़ राजपत्र (असाधारण) में प्रकाशित होने की तिथि से प्रभावशील होगी। सहकारिता विभाग द्वारा जारी नई अधिसूचना में कहा गया है कि छत्तीसगढ़ सहकारी सोसाईटी अधिनियम 1960 की धारा 16-ग की उपधारा (3) के अंतर्गत प्रदत्त शक्तियों को प्रयोग लाते हुए राज्य शासन द्वारा प्रदेश की प्राथमिक कृषि साख सहकारी सोसाईटियों को पुनर्गठित करने के लिए प्रदेश के सभी जिलों की ’प्राथमिक कृषि साख सहकारी सोसाईटियों की पुनर्गठन की योजना 2019’ की ’कंडिका 5 – पुनर्गठन की प्रक्रिया’ को उपांतरित करता है। उक्त पुनर्गठन योजना 2019 की ’कंडिका 8 प्रबंध’ को छोड़कर शेष कंडिकाएं यथावत रहेंगी। उपांतरित पुनर्गठन की प्रक्रिया अनुसार सभी जिलों की प्राथमिक कृषि साख सहकारी सोसाईटियों की पुनर्गठन योजना 2019 का क्रियान्वयन किया जाए।
अधिसूचना में कहा गया है कि राज्य सरकार ने छत्तीसगढ़ सहकारी सोसायटी अधिनियम 1960 की धारा 16-ग की उपधारा (1) के अंतर्गत प्रदत्त शक्तियों को प्रयोग में लाते हुए प्रदेश की प्राथमिक कृषि साख सहकारी सोसाईटियों की ओर से हाईकोर्ट में अलग-अलग याचिकाएं पेश की गई थी। इसके कारण पुनर्गठन की प्रक्रिया बाधित हुई थी। राज्य सरकार द्वारा जारी अधिसूचना में स्पष्ट किया गया है कि हाईकोर्ट ने अपने आदेश में विभाग द्वारा जारी की गई अधिसूचनाओं की कंडिका 8 को अपास्त किया है, लेकिन सोसाईटियों के पुनर्गठन पर रोक नहीं लगाई गई है।
पुनर्गठन की प्रक्रिया- जिले की समितियों के पुनर्गठन के संबंध में जिले के उपपंजीयक, सहायक पंजीयक, सहकारी संस्थाएं दावा-आपत्तियों के आमंत्रण के लिए सूचना का प्रकाशन कराएंगे। यह सूचना समिति, बैंक शाखा और मुख्यालय, विभाग के जिला कार्यालय के सूचना पटल पर चस्पा करने का कार्य ’उपांतरित पुनर्गठन की प्रक्रिया’ प्रकाशित होने की तारिख से 5 दिन तक किया जाएगा।
समिति के पुनर्गठन के संबंधी प्रस्ताव पर प्रभावित एवं परिणामी सोसाईटी के सदस्य, सोसाइटियों और बैंक शाखा अन्य द्वारा दावा-आपत्तियां 15 दिवस की समयावधि में जिले के पंजीयक के समक्ष 3 प्रतियों में प्रस्तुत की जा सकेंगी। प्राप्त दावा-आपत्ति का परीक्षण जिला पंजीयक, बैंक (शाखा प्रबंधकों आदि) के साथ संयुक्त रूप से प्रस्ताव का परीक्षण कार्य और परीक्षण उपरांत दावा-आपत्ति का निराकरण कर संशोधित प्रस्ताव अनुसूची 1, 2 और 3 में टीप सहित जिला सहकारी बैंक को पृष्ठांकित करते हुए संभागीय संयुक्त पंजीयक, सहकारी संस्थाएं को 30 दिवस में प्रेषित किया जाएगा।
अभ्यावेदन निराकरण के लिए नवीन सोसाइटी के गठन के संबंध में कुछ मार्गदर्शी बिन्दु भी तय किए गए है। जिसमें सोसाईटी का ऋण वितरण सामान्य क्षेत्र के लिए 2 करोड़ और अनुसूचित क्षेत्रों के समितियों के लिए एक करोड़ रूपए होगा। सोसाइटी के कार्य क्षेत्र में कृषि योग्य रकबा सामान्य क्षेत्र में कार्यरत सोसाइटी के लिए 1500 हेक्टेयर और अनुसूचित क्षेत्र में कार्यरत सोसाइटी के लिए 2000 हेक्टेयर होगा।
सामान्य क्षेत्र में कार्यरत सोसाइटी के लिए 10 किलोमीटर तथा अनुसूचित क्षेत्र में कार्यरत सोसाइटी के लिए 20 किलोमीटर होगा। सोसाईटी की न्यूनतम सदस्यता 750 होगी। पुनर्गठन में ग्राम पंचायत एवं पटवारी हल्का का विखंडन न हो, अर्थात् एक ग्राम पंचायत और एक पटवारी हल्का के समस्त ग्राम एक ही सोसाइटी में हो। सोसाइटी का कार्य क्षेत्र दो विकासखण्डों या दो तहसीलों में न हो। सोसाइटी के ग्राम यथासंभव एक ही विधानसभा क्षेत्र में हो। सोसाइटी मुख्यालय में पहुंच हेतु नदी, नाले आदि बाधक न हो।
सोसाइटी का मुख्यालय यथांभव वहीं हो, जहां पर गोदाम, अन्य आधारभूत संरचना निर्मित हो। जिलों के उप और सहायक पंजीयक द्वारा दावा आपत्तियों के निराकरण से संतुष्ट होने पर संबंधित सदस्य, व्यक्ति संभागीय संयुक्त पंजीयक, सहकारी संस्थाओं के समक्ष 7 दिवस के भीतर अपील कर सकेगा। इसका निराकरण 7 दिवस में संभागीय संयुक्त पंजीयक द्वारा किया जाएगा। इसके बाद जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक के मुख्य कार्यपालन अधिकारी से अभिमत प्राप्त कर, जिलावार अनुसूची 1, 2, 3 सहित प्रस्ताव छत्तीसगढ़ राज्य सहकारी बैंक को पृष्ठांकित करते हुए पंजीयक सहकारी संस्थाएं छत्तीसगढ़ को 15 दिवस में भेजा जाएगा।
प्रबंध संचालक छत्तीसगढ़ राज्य सहकारी बैंक के अभिमत के साथ जिलावार अनुसूची 1, 2, 3 सहित प्रस्ताव पंजीयक सहकारी संस्थाएं की ओर 10 दिवस में प्रेषित किया जाएगा। जिसे पंजीयक सहकारी संस्थाएं द्वारा राज्य शासन को प्रस्ताव 10 दिवस में प्रेषित किया जाएगा। शासन द्वारा अभ्यावेदनों का निराकरण अधिकतम 30 दिवस के भीतर करने के बाद अंतिम प्रकाशन किया जाएगा। अभ्यावेदनों पर राज्य शासन का विनिश्च अंतिम होगा, जो सभी पक्षों पर बंधनकारी होगा। इसके बाद संबंधित प्राधिकारी 15 जुलाई 2020 तक आवश्यक आदेश और अन्य सभी आवश्यक कार्रवाईयां करेंगे।